Song of Gopichand-Bhojpuri

About this text

Introductory notes

Songs of Gopichand are based on the legend of Bharthari and his nephew Gopi Chand. Two versions of the song are available, in Bhojpuri and Magahi respectively. The legend tells the story of Gopi Chand, who takes vows of asceticism and travels to Bengal. The text was translated by George Abraham Grierson. Our selection here presents the original Bhojpuri text in its entirety and is based on the version published in the Journal of Asiatic Society of Bengal in 1885. Primary Reading "Songs of Gopichand", edited and translated by G.A.Grierson, Journal of Asiatic Society of Bengal, Vol.54, Part.I, (Calcutta: Asiatic Society, 1885)

1.

फाड़ के पितम्मर राजा गोपी चंद गुदड़ी। बनावन बाड़े ।
बीचे लागे हीरा लाल मोती ।
बन गैलि गुदड़िया अनमोल ।
पहिर के गुदड़ी राजा रमि के चलत हैं ।
माता उन्ह के गुदड़ी [...] के ठाढ़े ।
तोहि देख बेटा बाँधोँ धिरजवा ।
तूँ तो निकल के बेटा होत बाड़े जोगी ।
नौ रे महिना के बेटा ओदर में रखेलाँ, एहें रे बिपतिया लाल मोरे काम ।
सात सोत के दुधवा पिया (?)। तवना के दमवाँ मोहि दे के जाऊ॥

2.

गैया भैंसिया के दुधवा तूँ चाहू हटिया बजरिया से किनी के में देओं ।
बाबा के सगरवा दूध से भराऊँ , तार लेहू तूँ दूधवा के दाम ।
तेऊ पर डरिन में माँता से नाहिं ।
दुधवा तूँ बकसू माँता धरम के पीछे ॥

3.

लागु परदेसिया तू रे जोगी ।
दुधवा त [...]बकसेयाँ बेटा धरम के पीछे ।
पतनी कहलिया मोर मान लेबे ॥

4.

४। तीन रे तिरलोकिया में फेरिया लगैहै ।
बहिन रे बिरनवा का देस मत जैहैं ।
मरि जैहैं बहिनिया तोर, छाती फाटि, जहिया सुनिहै भैया मोर भैल है जोगी ।।
वारी सतरनियाँ रे बारे के बियाहल, तवनो गुदड़िया धै के ठाढ़े ।
तूहूँ तो सामी मोर जोगीया होत बाड़े ।
कवन रे अलिमियाँ मो के दे के जैबे ।
पथल के मुरतिया तो होत गोपी चन्दा । भँवरा भेलसेवे उड़ि गैले ॥

5.

५। पहिले बसेड़ देला केदली का बनवाँ ।
जँगली हरिनियाँ देख रोए ।
[...] के मेवात तुर के खियावे। खा ले रे जोगिया मोर जंगल के मेवातु ॥
अनवाँ न [...] खाबों माँता, पीअबाँ न(?)पनियाँ ।
बिरना सहर मोहि देहू बताइ ॥
पतना बचनियाँ सुनि, बोले बनसपति, छबे रे महिना के रहिया बिरना सहरवा ।
मरि जैबे अनवाँ बिन पानी ।
अड़बड़ रहतवा तोर बिरना सहरवा ॥
माँता मोर मिनतिया तो माँ लेबे ।
तो केतने दिनवें में पहुंचे, मोर माँता, ओ ही तरे हमरा के देहु पहुँचाइ ॥
चिल्हिया सरूप होत बनसपति, तोतवा सरूप लेत बैठाइ ।
विरना सहरवा में देले पहुँचाइ ॥

6.

६। गलिया के गलिया बिरना फेरिया लगावे ।
जीव मोर नगरिया के दाता लोग ।
राजन घरवा के दुअरा बतावह।
तोहरे सरनियाँ में छाड़ देबों ॥
ऊँच रे अटरिया नीच है दुकरिया ।
दुकरवे पर उकठल चनन के फेड़ ।
उहे हवे रजवा घर के दुआर ॥

7.

७। ओहि तर जाइ जोगी घुँइयाँ लगावे ।
फूल के चननवा भैल कचनार ।
उपरा से ताकत बाड़ी बहिनी उन्ह के बिरना । ऐसन जोगी तपसो में नांहि देखेलाँ ॥
जलदी बोलाबत बाड़ी मुँगिया लौंड़िया ।
आऊ लौंडी उन्ह कर जतिया तें पुछू ॥
हथवा [...] जोड़ जोगी अरज लगावत बाड़े ।
लौंडी(?),मोर कहलकी तें मान ले ।
छतिरी मोरे जतिया ।
तें जा के बतैहै ।
कहिहै जनमवाँ के सिध हवे जोगी ॥
जतिया छिपौलण, तो भल कैलण ।

8.

८। बाबा भोजन के खबरिया तण दण ना बताई ।
कि खैब(?) राजन घर के रसुइया, कि करब(?) दुधवा के फरहार ॥
बारह बरिस भैल , रै लौंडी(?), कहियो हथवा हम नाहिं जारल ।
हम तण खैबों राजन घर के रसोइ ।
तवन आवे बराम्हन बरुआ के हाथे ।
लौंडी के छूअलका ऊहो ना खैबों ।
छतिरी धरम मोर जाई नसाइ ।
नर्दू रे बिपतिया राम मोर डालल । लिखल करमवाँ के भैलीँ जोगी ॥

9.

९। पतना बचनिया सोनि के लौंडी त(?) गैली , भोजन के खबरिया त भोलि गैली लौंडी ।
भोलि गैली टहल टिकुरा ।
भोजन के खबरिया तो केऊ ना लेल ।
अधी त(?) राति जोगी बन्सौ बजावे ।
बहिनी रे बिरनवाँ के सबद परले ॥

10.

१०। जलदी बोलाबे रानी मूँगिया लौंडी(?)।
एक जोगी दुअरा पर करत बा उपास ।
जलदी बोलाऊ लौंडी बराम्हन छोकड़वा ।
कहहू रे जेवना के कुसलात ॥
जा के त लौंडी बराम्हन के बोलावे ।
छत्तिस तौलिया में छतीसेआ परकार ।
एकेआ में खाली ना ।
अबहीं चाहण बराम्हन सै कूँअरा खियावनण ।
एक जोगी दुआर पर कवन बिसात ॥

11.

११। गोड़वा त(?) धोइ बराम्हन खोलत बा भंडार ।
सारी रे तौलिया जर के खँगार ।
मनवाँ मेँ सोचत बाड़े बराम्हन के छोकड़वा, कवन रे अचम्हो होई गैले ।
कोहि रे तौलिया के जरी करौंदी मूँगिया लौंडिया से देखा भेजाइ। राजन घरवा रसोइ ॥
मुँगिया लौंडी रे ले के तो गैली ।
जोगी तोर करमवाँ में आगि लागे ।
जरि गैले मोर राजन घर के रसोइ ॥

12.

१२ । पतना बचन सुनि जोगिया त(?) हँसे ।
चमकत बा बतिसिया रे मुख के दाँत ।
ओहि रे उजिअरवा में लेत बा करौंदी ।
का दिहली बहिन हमार ।
ओहि रे करौंदी राजा खूँटवा गठियावे ।
खात बाटे धुँइयाँ के खाक भभूति ॥

13.

१३ । होत रे फजिरवा त(?) लोहिया लागे ।
बहिन के सगरवे पर करे असनान ।
सारी रे बदनियाँ त(?) गुदड़ी छपावे ।
मुँहवा के सुरतिया तो नाहिं रे छपे ।
सानि क भभुतिया तो भसम चढ़ावे ।
बहिन के दुअरवे पर ठाढ़ बाड़े ।
हथवा त(?) जोर जोगी अरज लगावे ।
हमरो त(?) जोर भिछवा रानी देबे तोहरो दुअरवा हम छोड़ देबों ॥

14.

सोनवाँ रूपवा के खिचड़ी बनावत बाड़ी ।
चलत बाड़ी भैया के भिच्छा देबे ।
मूँगिया लौंडिया में देली भेजाइ ।
जोगी आपन भिछवा ले, तूँ लेबे ॥

15.

१५ । हथवा त(?) के जोर जोगी अरज कमावत बाड़े ।
कंकड़ पथरवा बहिन के रे चलावे ।
हम के देतू गुदड़ी के कपड़ा पुरान ॥
रहेला कपड़ा मोरी चेरिया लौंडिया ।
फारे खातिर नाहिं बाटे मोर कपड़ा पुरान ।
अपने में भैया के लाख सै दोहाइ ।
नाहिं बाटे कपड़ा पुरान ॥
पतना बचनिया त(?) बहिन उन्ह के बोले ।
मरे तोरे भैया रे राजा गोपी चन्दा ।
झूठ रे किरियवा तूँ काहे के खापऊ ॥
दे के सरपवा त(?) जोगी रम चलत बाड़े ।
बहिन उन्ह के गुदडी धे बिलमावे ।
फाड़ि के पितम्मर जोगी गुदडी बना देबों ।
काहे मोरा भैया के देऊ सराप ।
अपने गुरुअवा के लाख सै दोहाइ ।
अपने त(?) मतवा के दूध हराम ।
काहे मोरा भैया के दिहल(?) सराप ।।

16.

१६। हथवा त(?) जोड़ जोगी पता आपन बतलावत बाड़े ।
बंका सहरवा राजा रघुबनसी(?)।
बाबा रे तिरलोकी सिंह के मैं नाती ।
बाबा रे भवन्दा सिंह के मैं बेटा ।
अँधरी बहिनियाँ में तोर सग भैया ।
बड़ी तूँ सँपतिया पर गैलु अँधराय ।
ना चिन्हलु उदरी पक(?) भाइ॥

17.

१७ । पतना बचन सुनि बहिन उन्ह के बोलत बा, सुन रे लौंडिया मोरि बात ।
पह मोर भैया जोग नाहिं बाड़े ।
बारह सै कुंअरवा मोरा देवढ़ी पर नोकर ।
कोहि कुँअरवा में से जोगिया बाटे ।
जानत बाड़े मोर भाइ बाप के नाम ।
जहिया मोरे ऐते भैया गोपी चन्दा , चार सै त(?) घोड़ा ऐते ताजी और तुरकी ।
हथियन से हलफा उठि जैते ।
पैदल के गिनितिया कवन रे चलावे ।
उजरी नगरिया बस जैते, जहिया ऐते भैया मोर गोपी चन्दा ।
हमरा भैया के हथवा में कलम के चिन्हवाँ ।
का मोर भैया दिहले दहेज ॥
लाख सै असरफी, रे बहिन, तिलक चढापऊँ(?)।
भँवरा हथिया दोअरा का पूजा ।
गाड़ी छकड़वा दिहले लदाइ सोनवाँ ।
कँसँहड़ के गिनती कवन चलावे ।
रुपिया पर कलम न चलापऊँ(?)।
बहू(?) के कँगनवाँ तोरे हथवा बिराजे ।
बाबा के मूँदरिया तोरा हथवा में चमके ।
पहिरले बाड़िस नैहर के चित रंग सारी ॥

18.

१८ । पतना बचनिया सुनि के बहिन उन्ह के दौड़ल जैसे टूटे गैया के ओर बाछा ।
भाइ रे बहिनियाँ त(?) भेंटे लागे ।
जंगल के पतवा त(?) गैले खहराय ।
कैके जेवनवाँ में भैया के खियाओं ।
पाछे पूछों नैहर कुसलात ।
किह भैया चढ़ि आइल सुबवा नबाब ।
के तोर देसबा रे छोर लेले ।
इहाँ में भेजों भैया जोरि फौदिया ।
तोहार देसवा लेऊँ छोड़ाइ ॥
नाहिँ बहिन चढ़े केऊ सुबवा नबाब ।
नाहिं केऊ मोर देसवा हर लेले ।
लिखल करमवाँ के भैले जोगी ।
तोरा हथबा के, बहिन , जेवना नाहिं खैबों(?) पहि घड़ी मोर हथवा छूंछ बाटे ।
रात के रसोइया त(?) देखू, बहिन बिरना ।
का दिहलू बहिन ।
जरि रे करमवाँ ।
खोरिया के टुकड़ा मोहि अँखिया देखौलू ।
उतरल नगरिया के रे भार ॥
खोलि के करौनी जोगिया देखौले ।
मरि गैली बहिनियाँ छाती फाट ।

19.

१९ । मनवाँ में सोचत बाड़े राजा गोपी चन्दा माँता के कहलिया साँच भैली ॥
कमर से निकाले राजा छुड़िया कटरिया ।
अपना गरदनवाँ पर देत बा चलाइ ।
ऊपर त(?) गोसैँयाँ रे ध(?) त(?) लिहले ।
काहे के सारे जोगी अप्पन जियरबा ।
तोहरा अंगुरिया में अमिरित धरवा ।
चीर के अँगुरिया बहिन के पियाप ।
जोगी रम के चल देले ॥ इति ॥

This text is in its original language, and has an English translation:
Translation

This is a selection from the original text

Keywords

अमिरित, अमिरित, जोगी, जोगी, भिछवा

Source text

Title: Two versions of the Song of Gopi Chand, Journal of the Asiatic Society of Bengal

Author: G.A.Grierson

Editor(s): The Philological Secretary

Publisher: Asiatic Society

Publication date: 1885

Place of publication: Calcutta

Provenance/location: This text was transcribed from images available at the Digital Library of India: http://www.dli.ernet.in/.

Digital edition

Original editor(s): G.A.Grierson

Language: Bhojpuri

Responsibility:

Texts collected by: Ayesha Mukherjee, Amlan Das Gupta, Azarmi Dukht Safavi

Texts transcribed by: Muhammad Irshad Alam, Bonisha Bhattacharya, Arshdeep Singh Brar, Muhammad Ehteshamuddin, Kahkashan Khalil, Sarbajit Mitra

Texts encoded by: Bonisha Bhattacharya, Shreya Bose, Lucy Corley, Kinshuk Das, Bedbyas Datta, Arshdeep Singh Brar, Sarbajit Mitra, Josh Monk, Reesoom Pal

Encoding checking by: Hannah Petrie, Gary Stringer, Charlotte Tupman

Genre: India > oral narratives

For more information about the project, contact Dr Ayesha Mukherjee at the University of Exeter.

Acknowledgements