Surah Ki Jaisi Teri Chal
1. सुरह की जैसी तेरी चाल
1.1.
सुरह की जैसी तेरी चाल ॥
तेरी पूंछट ऊपरि झमक बाल ॥
इस घर महि है सु तु ढूंढि खाहि ॥
अउर किस ही के तू मति ही जाहि ॥ [रहाउ]
चाकी चाटहि चुनू खाहि ॥
चाकी का चीथरा कहां लै जाहि?॥
छीके पर तेरी बहुतु डीठि;
मतु लकरी सोटा तेरी परै पीठि ॥
कहि कबीर, भोग भले कीन;
मति कोऊ मारै ईंट ढेम ॥